अतिथि संपादक डॉ जी. पी. सिंह ‘आनंद’ की कलम से
भारत के प्रधानमंत्री ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए कहा था कि लॉकडाउन की अवधि में जो जहाँ हैं वहीं रहें, लेकिन जिन राज्यों ने दिहाड़ी मजदूरों की मज़बूर परिस्थिति को नहीं समझा उन्हें आने वाले वक़्त में इसकी बहुत बड़ी क़ीमत चुकानी होगी। भोजन और आवास से वंचित सभी मजदूर येन-केन-प्रकारेण घर-वापसी कर रहे हैं और फ़िर कभी लौटकर न जाने की प्रतिज्ञा कर रहे हैं।
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अतः जो राज्य इन मजदूरों के भोजन और आवासन की व्यवस्था नहीं कर सके उन राज्यों में कामगारों की जबर्दस्त कमी होगी जिसके कारण कल-कारखानों और दूसरे निर्माण कार्यों के अवरोधित हो जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। वैसे भारत जैसे भावना प्रधान देश में इन मजदूरों के साथ जो भी हुआ वह अच्छा नहीं हुआ। भविष्य में इनकी उपादेयता की समझ के साथ वर्तमान के मुश्किल वक़्त में इनके पसीने की क़ीमत को समझा जाना चाहिए था।