मुख्यमंत्री ने आज तीसरेे दिन भी 8 जिलों के 16 क्वारंटाइन केन्द्रों का किया वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से निरीक्षण, रह रहे प्रवासियों से किया संवाद। हमारी इच्छा है कि सभी को यहीं रोजगार मिले, किसी को अकारण बाहर नहीं जाना पड़े। हम सब के रोजगार की यहीं व्यवस्था करेंगे- मुख्यमंत्री। बिहार आकर सारा दर्द भूल गया- प्रवासी श्रमिक। मुख्यमंत्री ने आज तीसरे दिन वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 8 जिलों के 16 क्वारंटाइन केन्द्रों का किया अवलोकन एवं निरीक्षण। केन्द्र में रह रहे प्रवासियों से रूबरू हुये मुख्यमंत्री। क्वारंटाइन केन्द्रों पर दी जा रही सुविधाओं की ली जानकारी। पूरे क्वारंटाइन केन्द्र का किया मुआयना। मुख्यमंत्री ने कहा- बिहार में कपड़ा, जूता, बैग, फर्नीचर, साईकिल आदि से जुड़े उद्योगों की असीम संभावनायें हैं। हम उपभोक्ता राज्य हैं। हमारे पास बहुत बड़ा बाजार है। बाजार की जरूरतों के अनुरूप उद्योग लगाने के लिये लोगों को करें प्रेरित। मुख्यमंत्री ने कहा- बिहार के व्यवसायी वर्ग को भी करना चाहिये विचार। नये उद्योग लगायें, सरकार हर संभव मदद को तैयार। उद्योग लगने से बाजार का और विकास होगा एवं लोगों की आय बढे़गी। लोगों को बाहर काफी कष्ट हुआ है। हमारी इच्छा है कि सभी को यहीं रोजगार मिले, किसी को अकारण बाहर नहीं जाना पड़े। हम सब के रोजगार की यहीं व्यवस्था करेंगे। इससे बिहार का और विकास होगा। सभी लोग बिहार के विकास में भागीदार बनें। बिहार के बाहर की निजी कम्पनियों ने वहां कार्य करने वाले बिहार के प्रवासी श्रमिकों का नहीं रखा ख्याल जबकि यह उनका दायित्व था। भागलपुर एवं मुंगेर में कपड़ा उद्योग खासकर सिल्क उद्योग की अपार संभावनायें हैं। भागलपुर का सिल्क दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पहले यहां से सिल्क का निर्यात किया जाता था। भागलपुर के इस उद्योग की क्षमता की पहचान कर आगे की कार्रवाई करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में बहुत काम है, यहीं रहिये और काम कीजिये। सभी को उनके स्किल के अनुरूप काम मिलेगा। बिहार में कोई भूख से नहीं मरता। मुख्यमंत्री का निर्देश:- क्वारंटाइन केन्द्रों पर आवासित सभी प्रवासियों का करायें पूर्ण सर्वे। कौन कहां से आया है? क्या रोजगार करता था? उनको यहां कैसे रोजगार उपलब्ध कराया जाय ताकि उन्हें बाहर नहीं जाना पड़े। क्वारंटाइन केन्द्रों में रह रहे लोगों को मुख्यमंत्री ने कहा- आपलोगों के हित में क्वारंटाइन केंद्रों का किया गया है इंतजाम। 14 दिन क्वारंटाइन रहिये, यह आपके और आपके परिवार के स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है। क्वारंटाइन केन्द्रों में रह रहे प्रवासियों ने व्यवस्थाओं को सराहा। सभी ने कहा कि उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है और वे लोग अब बिहार में ही रह कर काम करना चाहते हैं। जमुई के क्वारंटाइन केन्द्र में आवासित प्रवासी श्रमिक ने कहा कि बिहार आकर सारा दर्द भूल गया।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित नेक संवाद में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आज तीसरे दिन 08 जिलों के 16 क्वारंटाइन केन्द्रों पर उपलब्ध करायी जा रही व्यवस्थाओं का निरीक्षण एवं अवलोकन किया। क्वारंटाइन केंद्रों में शौचालय, पेयजल, रसोईघर, लोगों के रहने की व्यवस्था एवं केंद्रों की साफ-सफाई का मुख्यमंत्री ने बारीकी से अवलोकन किया। वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भागलपुर, बांका, कटिहार, जमुई, बक्सर, जहानाबाद, अरवल एवं मुंगेर के जिलाधिकारियों ने क्वारंटाइन केन्द्रों से अद्यतन स्थिति की जानकारी दी। जिलाधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री को जानकारी दी गयी कि सेंटर पर कितने कमरे हैं, कितने लोग वहां आवासित हैं। शौचालय की संख्या, परिसर की समुचित साफ-सफाई, रसोईघर की स्थिति, वहां कार्य करने वाले लोगों की संख्या, स्नानागार, पेयजल व्यवस्था, संस्थापित सीसीटीवी कैमरा आदि के संबंध में जानकारी के साथ-साथ मुख्यमंत्री को इन सभी व्यवस्थाओं को वीडियो काॅफ्रेंसिंग के माध्यम से दिखाया गया।
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मुख्यमंत्री ने भागलपुर के माउंट लिट्रा जी स्कूल, जगदीशपुर केंद्र पर राजस्थान के भिवाड़ी से आयी प्रवासी महिला से बातचीत के दौरान पूछा कि वो कब आयीं, वहां क्या करती थीं। इस सेंटर पर की गई व्यवस्थाओं के बारे में भी उनसे जानकारी ली। प्रवासी महिला ने बताया कि वो भागलपुर से ही ट्रेड स्पेशिफिक हार्डवेयर का ट्रेनिंग करके वहां गई थीं और स्पीडोमीटर बनाने का काम करती थी। उन्होंने बताया कि इस सेंटर पर समय पर भोजन मिलता है, साथ ही अन्य प्रकार की जरुरी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। मुख्यमंत्री द्वारा यहां रहने के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में प्रवासी महिला ने कहा कि बिहार में ही रहेंगे और यहीं काम करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों की इच्छा है कि अधिकतम लोगों को यहीं पर व्यवस्थित किया जाए ताकि आपलोगों को बाहर नहीं जाना पड़े। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाहर से आए लोगों का आंकलन कराया जा रहा है कि वे किस काम में विशिष्ट हैं। उन्हें उसी के अनुरुप व्यवस्थित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आपलोग राज्य में ही रहें। यहां पर सारे इंतजाम किए जाएंगे। बिहार में ही सभी को रोजगार मिले, इसके लिये सरकार पूरी व्यवस्था कर रही है। बांका जिले के बीएन सिंह कॉलेज, भुसिया, राजौन केंद्र पर 10 मई को नांदेड़, महाराष्ट्र से आए चंदन कुमार ने बताया कि वे होटल में काम करते थे। लॉकडाउन की वजह से वहां काफी दिक्कत हुई और प्राइवेट गाड़ी से हमलोग यहां आए हैं। उन्होंने कहा कि यहां क्वारंटाइन सेंटर पर किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। यहां आने के बाद काफी सहुलियत हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 14 दिन यहां रहने के बाद आप अपने घर जाएंगे, यह आपके स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है। प्रवासी ने बताया कि वे बिहार में ही रहने का मन बना चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग कोशिश में हैं कि आपको कहीं बाहर जाने की नौबत न आये। कटिहार जिले के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, कुरसेला केंद्र पर 10 मई को दिल्ली से आए प्रवासी श्रमिक ने मुख्यमंत्री से बातचीत में कहा कि वे वहां रहकर स्टीचिंग का काम करते थे। उन्होंने कहा कि वे बिहार में ही रहना चाहते हैं, यहां हमलोगों को काम मिल जाए, यही हमारी इच्छा है। प्रवासी श्रमिक ने बताया कि यहां सभी प्रकार की सुविधाएं हैं। किसी प्रकार की कोई दिक्कत यहां नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 14 दिन यहां रहने के बाद आप अपने घर जाएंगे, यह आपके स्वास्थ्य के लिए उपयोगी तो है ही साथ ही आपके परिवार एवं गांव समाज के लिए भी हितकर है।
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जमुई जिले के सिकंदरा स्थित आईटी केंद्र पर 23 मई को कोलकाता से आए दिव्यांग श्रमिक कैलाश रविदास ने बताया कि वे 25 वर्षों से वहां चप्पल की फैकट्री में सैंडल बनाने का काम करते थे। उन्हें राज्य सरकार के द्वारा दिव्यांग पेंशन की राशि मिलने से काफी राहत हो रही है। मुख्यमंत्री ने पूछा कि इस केंद्र पर उन्हें क्या-क्या सुविधाएं मिल रही हैं। जवाब में रविदास ने भावुक होकर कहा कि बिहार आकर सारा दर्द भूल गया। उन्होंने बताया कि हम यहीं रहना चाहते हैं, यहीं रोजगार दिलायें। मुख्यमंत्री ने कहा कि चिंता मत कीजिए आपका पूरा ख्याल रखा जाएगा। बक्सर जिले के डीएवी पब्लिक स्कूल केंद्र पर हैदराबाद में काम करने वाले प्रवासी श्रमिक ने बताया कि वह 11 मई को यहां लौटे हैं। वे हैदराबाद के सीमेंट प्लांट में काम करते थे लेकिन अब वे यहीं रहकर काम करना चाहते हैं। यहां अपने राज्य में आकर उन्हें खुशी हो रही है। उन्होंने बताया कि सेंटर पर सारी व्यवस्थाएं अच्छी तरह से की गई हैं, कोई दिक्कत नहीं है और यहां अच्छा लग रहा है। मच्छरदानी, बिछावन के अलावे, बरतन, साबुन, कपड़े एवं अन्य जरुरी सामान भी दिए गए हैं।
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जहानाबाद जिले के मां कमला चंद्रिका बीएड कॉलेज, नौरु केंद्र पर बेंगलुरू से आए दीपक कुमार सिंह ने बताया कि वे वहां रेडिमेड गारमेंट्स की कंपनी में काम करते थे, वे यहीं से ट्रेनिंग करके गए थे लेकिन अब वे अपने राज्य में रहकर ही काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस केंद्र पर उन्हें तीनों समय ठीक ढंग से भोजन मिलता है और उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। मुंगेर जिले के डॉ अंबेडकर रेसिडेंसियल गल्र्स हाई स्कूल केंद्र पर गुड़गांव से 21 मई को आए प्रवासी श्रमिक ने बताया कि वे वहां एक्वागार्ड वाटर कंपनी में 5 वर्षों से काम करते थे। यहां आने पर उनकी मेडिकल जांच करायी गयी और सेंटर पर क्वारंटाइन के दौरान खाने-पीने के साथ-साथ अन्य सारी सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। वहां से लौटने के बाद अब वे यहीं काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यहीं हमलोगों को काम करने का मौका दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सब यहां रहिएगा तो हमें भी अच्छा लगेगा। यहीं पर काम दिलाएंगे, बाहर जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। आपलोग बाहर जाकर वहां के विकास में कितना सहयोग देते हैं लेकिन जैसा कि आपलोगों ने बताया कि आपलोगों के साथ कंपनियों ने इस विषम परिस्थिति में अच्छा व्यवहार नहीं किया। हमलोग ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं कि बिहार में ही रहकर आपलोग सम्मान के साथ जीविकोपार्जन कर सकें।
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मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान प्रवासी श्रमिकों से बातचीत के क्रम में कहा कि बिहार के बाहर की निजी कंपनियों ने वहां कार्य करने वाले बिहार के प्रवासी श्रमिकों का ख्याल नहीं रखा, जबकि यह उनका दायित्व था। लोगों को बाहर काफी कष्ट हुआ है। हमारी इच्छा है कि सभी को यहीं रोजगार मिले, किसी को अकारण बाहर नहीं जाना पड़े। उन्होंने कहा कि बिहार में बहुत काम है, यहीं रहिए और काम कीजिए। सभी को उनके स्किल के अनुरुप काम मिलेगा। बिहार में कोई भूख से नहीं मरता है। हम सबके रोजगार की यहीं व्यवस्था करेंगे, इससे बिहार का और विकास होगा। सभी लोग बिहार के विकास में भागीदार बनें। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में कपड़ा, जूता, बैग, फर्नीचर, साइकिल आदि से जुड़े उद्योगों की असीम संभावनाएं हैं। भागलपुर एवं मुंगेर में कपड़ा उद्योग खासकर सिल्क उद्योग की अपार संभावनाएं हैं। भागलपुर का सिल्क दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पहले यहां से सिल्क का निर्यात किया जाता था। उन्होंने कहा कि भागलपुर के इस उद्योग की क्षमता की पहचान कर आगे की कार्रवाई करें। हम उपभोक्ता राज्य हैं, हमारे पास बहुत बड़ा बाजार है। बाजार की जरुरतों के अनुरुप उद्योग लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि बिहार के व्यवसायिक वर्ग को भी इस पर विचार करना चाहिए। नये उद्योग लगाए जाने पर भी विचार किया जाना चाहिए। सरकार इसके लिए हरसंभव मदद देने को तैयार है। उद्योग लगने से बाजार का और विकास होगा एवं लोगों की आय बढ़ेगी।
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मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि क्वारंटाइन केन्द्रों पर आवासित सभी प्रवासियों के सर्वे का कार्य पूर्ण कराएं। कौन कहां से आये हैंं, क्या रोजगार करते थे? उनको यहां कैसे रोजगार उपलब्ध कराया जाए ताकि उन्हें बाहर नहीं जाना पड़े। क्वारंटाइन केंद्रों पर रह रहे लोगों को मुख्यमंत्री ने कहा कि आपलोगों के हित में क्वारंटाइन केंद्र बनाए गए हैं, जहां सारी व्यवस्थाएं की गई हैं। 14 दिन क्वारंटाइन में रहकर आप सभी खुशी-खुशी घर जाइये। यह आपके और आपके परिवार के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। सभी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। कोरोना से बचाव का यही प्रभावी उपाय है। बैठक में मुख्य सचिव दीपक कुमार, पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय, प्रधान सचिव आपदा प्रबंधन प्रत्यय अमृत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार एवं मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह उपस्थित थे, जबकि वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 8 जिलों के जिलाधिकारी एवं 16 क्वारंटाइन केंद्रों से वहां रह रहे प्रवासी जुड़े थे।