बिहार ब्रेकिंग-रविशंकर शर्मा-पटना ग्रामीण
आज वट सावित्री व्रत है, और इस अवसर पर महिलाएँ अपने पति के दीर्घ जीवन के लिये वट वृक्ष की विधिवत पूजा ज्ञानी ब्राह्मणों के देखरेख में करती हैं और उनसे पति के दीर्घायु होने की कामना करती हैं। शास्त्रों के अनुसार ये व्रत महासती सावित्री और सत्यवान से जुड़ा है, जब सत्यवान जी का आयु कुछ ही रह गया था तब देवऋषि नारद जी के परामर्श पर सती सावित्री ने उनके दीर्घ जीवन के लिये ये अनुष्ठान किया था और उन्हें वरदान प्राप्त हुये थे तभी से इस व्रत का अनुष्ठान किया जाने लगा।
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कहते हैं इस अनुष्ठान से सुहागिनें अपने पति के दीर्घायु होने का वरदान प्राप्त कर लेती हैं। इस व्रत के दौरान वट वृक्ष की विधिवत पूजा कर महा सती सावित्री और उनके पति सत्यवान जी की कथा कही और सुनी जाती है फिर यथा शक्ति ब्राह्मणों को दयानं देकर उनका आशिर्वाद प्राप्त किया जाता है। हालांकि दूसरी मान्यता के अनुसार ये प्रकृति पुजा है और सनातन धर्म मे प्रकृति को ही ईश्वर माना जाता है।
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सनातन में ऐसी मान्यता है कि अखिल ब्रह्मांड के कण कण में ईश्वरीय शक्ति निहित है, अतः ऋषि मुनियों ने अनादि काल से प्रकृति के विभिन्न स्वरूपों के पूजा, व्रत, अनुष्ठान आदि के परंपरा की स्थापना की थी, प्रकृति पूजा दरअसल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी जगत और सम्पूर्ण प्राणि के लिये सदैव लाभदायक और हितकारी माना गया है क्योंकि इससे प्रकृति का संतुलन बना रहता है, और प्राकृतिक आपदाओं से संसार की रक्षा होती है।