सरकार द्वारा ट्रेन और बस से लाये जाने के अतिरिक्त मजदूर कई तरीकों से बिहार में दाखिल हो रहे हैं। इसमें पैदल से लेकर साईकिल, जुगाड़ गाड़ी, निजी वाहन आदि के साथ बड़ी संख्या में मालवाहक वाहन शामिल है। ऐसा ही नजारा आज सुबह बाढ़ में देखा गया दर्जनों मजदूर एक ट्रक और पिकअप वैन में एक साथ सवार दिखे। ना सोशल डिस्टेंसिंग की फिक्र ना मास्क की जरूरत, ऊपर से दातुन करते हुये जहां तहाँ थूकते नजर आये।
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पूछने पर पता चला कि ये सब महाराष्ट्र से लखीसराय और जमुई के लिये 14 मई को चले हैं। महाराष्ट्र में देश की एक तिहाई कोरोना संक्रमित मरीज हैं। ऐसे में प्रशासन के लिये ये चुनौती है कि इन्हें गाँव जाने से पहले हर हाल में रोक कर कोरेन्टीन कर दिया जाय। लगातार ऐसी सूचनाएँ मिल रही है कि प्रवासी मजदूर चोरी से गाँव मे छुप जाते हैं, और यही सबसे बड़ा खतरा है। इन्हें हर हाल में रोकना होगा। वरना स्थिति आउट ऑफ कंट्रोल भी हो सकती है।