अतिथि संपादक डॉ जी. पी. सिंह ‘आनंद’ की कलम से
करतल या अन्य अनेक माध्यमों से ध्वनि उत्पन्न करने एवं रोशनी करने से इस प्रकार की ऊर्जा उत्सर्जित होती है जो बहुत हद तक प्राणियों के अंदर और उनके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का शमन कर सकारात्मक वातावरण बनाती है। कोविड-19 से बचे रहने के लिए लॉकडाउन एवं सोशल डिस्टेंसिंग के कारण लोग घरों के अंदर बंद हैं। अगल-बगल के लोगों को न देख पाने के कारण एक तरफ़ बुजुर्ग उबाऊपन और युवा पीढ़ी उचाट का शिकार हो रहे हैं तो दूसरी तरफ़ बच्चे मानसिक रूप से प्रताड़ित होना महसूस कर रहे हैं। इस मनोवैज्ञानिक सच को समझते हुए ही उबाऊपन, उचाट और प्रताड़ना जैसे मानसिक दबाव को कम करने के लिए अपनी-अपनी बालकॉनी या दरवाजे पर सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए अनेक माध्यमों से ध्वनि उत्पन्न करने और रोशनी करने की व्यवस्था दी गई थी ताकि दूर से ही सही लोग एक-दूसरे को देखकर महसूस कर सकें कि हम आस-पास और साथ-साथ हैं जिससे तनावमुक्त होकर मानसिक अवसाद से बचा जा सके।
हमसे यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर यहां क्लिक कर जुड़ें
यह सच है कि कोरोना वायरस के कारण देश को जबरदस्त आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा है। इसलिए पूरे देश के नागरिकों ने सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर आर्थिक नुकसान से उबरने के लिए अनेक अवसर पर एकजुटता का सांकेतिक संदेश देकर सच्ची देशभक्ति का परिचय दिया है। अतः संकट के इस क्षण में विभिन्न माध्यमों से ध्वनि एवं प्रकाश ऊर्जा उत्पन्न कर अवसाद मिटने जैसे मानव का असामान्य मनोविज्ञान की समझ के साथ देशवासियों ने ज़िम्मेदार नागरिक होने का परिचय दिया है। साथ ही अपनी जान को जोख़िम में डालकर सड़क से अस्पताल तक जीवन की रक्षा करनेवाले महामनाओं के प्रति देशवासियों ने एकजुटता के साथ कृतज्ञता व्यक्त कर दुनिया के सामने एक नज़ीर पेश किया है।