सरकार समीक्षा करके आबादी के अनुरूप SC/ST, OBC, BC, EBC एवं अल्पसंख्यकों को दे आरक्षण-माँझी
आरक्षण की समीक्षा संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम माँझी चिंतिंत दिखाई दे रहें हैं। माँझी ने इस मामले को लेकर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि एससी/ एसटी आरक्षण समीक्षा में क्रीमी लेयर को लाने से बेहतर विकल्प यह होगा कि साक्षरता मानक को आधार बनाया जाए। न्यायालय एक परिधी तय करते हुए 15 या 20% तक साक्षरता दर वाले अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति को प्रथम लाभुक की सूची में शामिल कर दे। जिससे दलित आदिवासी भाई प्रभावित भी नहीं होगा। बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने अपने एक फैसले में कहा है कि एससी एसटी वर्ग के जो लोग आरक्षण का लाभ लेकर धनी हो चुके हैं। उन्हें शाश्वत रूप से आरक्षण देना जारी नहीं रखा जा सकता है। कल्याण के उपायों की समीक्षा करनी चाहिए। ताकि बदलते समाज में इसका फायदा सभी को मिल सके। न्यायालय के इस निर्णय के बाद आरक्षण की समीक्षा में क्रीमी लेयर पद्धति लागू करने की बात हो रही है। जिस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने कहा कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए। परंतु जिस समय आरक्षण लागू किया गया था, उस वक्त एससी/एसटी वर्ग में जातियों की संख्या कम थी। अब निरंतर दोनों वर्गों में जातियों की संख्या काफी बढ़ चुकी है। इसलिए आरक्षण का दायरा और बढ़ना चाहिए।
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मांझी ने कहा कि देश में विकास के मानक में साक्षरता को आधार बनाया जाता है। इसलिए क्रीमी लेयर लाने से बेहतर होगा की साक्षरता को ही आधार मानकर एससी एसटी आरक्षण में व्यवस्था बनाई जाए। उन्होंने कहा कि आरक्षण का लाभ सभी लोगों को मिले इसकी व्यवस्था होनी चाहिए और इसका बेहतर मानक साक्षरता ही हो सकता है। जिससे समाज के सभी वर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ भी मिल पाएगा और किसी को कोई समस्या भी नहीं होगी। माँझी ने कहा कि आरक्षण को लेकर बार-बार कोर्ट के फ़ैसले से देश का माहौल ख़राब होता है और ख़ास कर दलित आदिवासी भाईयों में भय का माहौल उत्पन्न होता है इसलिए सरकार को चाहिए कि इसको संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए।