साध्वी दीदी माँ ॠतंभरा ने कहा ‘राम के देश में राधव की ही पूजा होगी बाबर की नहीं। जीवन में धार्मिक उत्सव है संजीवनी समान।’ भगवान कृष्ण की लीलाओं का चित्रण का रसपान कर निहाल हुए चांदी धनुषी गांववासी। श्रीमद्भागवत कथा के आयोजन से माहौल हुआ भक्तिमय।भक्तिरस की सरिता में गोते लगाने को मजबूर हुए श्रद्धालु
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सदर प्रखंड स्थित चांदी धनुषी गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन गुरूवार को नंदलाला के जन्म पर बधाई के परिदृश्यों से पूरा पंडाल भक्ति भाव में डूब गया। माखन बंटी, छप्पनभोग के भोजन बंटे। जहां गोकुल में कृष्ण कन्हैया के जन्म पर पूरा वातावरण हर्षित हो रहा है। उधर कंस के हृदय में बौखलाहट परिलक्षित हो रहा है। पूतना वध, सप्ताषुर, बाल लीलाओं का वर्णन, गोपी प्रेम, ब्रज लीला, तारकासुर वध, गोवर्धन लीला, चतुर्भुज रूप आदि का सजीव वर्णन किया। विश्व विख्यात श्रीमद्भागवत कथा ममर्ज्ञी साध्वी दीदी माँ ॠतंभरा जी ने कहा कि मनुष्य को आत्म जागरण की जरूरत है। जो व्यक्ति आलसी होता है उसका जीवन विभिन्न तरह के झंझावतों से घिरा रहता है। इसलिए जीवन में प्रवाह की नितांत आवश्यकता है। चाहे वह प्रवाह विचारों में हो या फिर चिंतन में अवसर कभी-कभी दरवाजे पर आती है। मनुष्य जीवन में आना एक अवसर है। बेटियों की महत्ता दर्शाते हुए कहा कि जिस घर में बेटियों की किलकारियां नहीं गूंजती वह घर स्वर्ग नहीं शमशान के बराबर है। रिश्तों को कभी लाभ हानि के तराजू पर नहीं तौलना चाहता। मनुष्य कभी रिश्तों को लाभ हानि से नहीं तौलता है। कंस ने छोटे से नंदलाला को मारने के लिए कितने जतन नहीं किए। इधर नंदबाबा के घर उत्सव का माहौल है। धार्मिक उत्सव जीवन के लिए जरूरी है। सबके खुशी में सब खुश नहीं होते।
लोकप्रिय वो होता है जो सबके लिए खुशी की कामना रखता है। कंचन व कामिनी अर्जित करना आसान है लेकिन कृति हासिल करना आसान नहीं है। झूठी मुस्कान लिए लोग आज फिर रहे हैं।लेकिन ये दुनिया उसकी है जिसे मुस्कुराना आता है, रौशनी उसकी है जिसे समां जलाना आता है, यूं तो ईश्वर तो बहुत है मंदिर व गुरूद्वारा में लेकिन ईश्वर उसे ही मिलते हैं जिसे सर झुकना आता है।ब्रहालीन बाबा पशुपतिनाथ जी महाराज की की तप भूमि धर्मनगरी चांदी धनुषी में आयोजित श्रीसहस्त्र चंडी महायज्ञ के दरम्यान आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन गुरूवार को श्रीमद्भागवत कथा के व्यासपीठ से उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं से मुखातिब होते हुए दीदी माँ ॠतंभरा ने देश के वर्तमान हालात पर चिंता जाहिर करते हुए दीदी माँ ने कहा कि आज देश को आस्तीन के सांपों से ज्यादा खतरा है। भारत की छवि को बर्बाद करना चाहतें हैं। आज हमारी ताकत जातिवाद व पार्टीगत हो बंट रही है।उन्होंने कहा कि कोई मेरी आरती उतारे और देश को गाली दे मुझे यह मंजूर नहीं। भारत को बदनाम करने की साजिश हो रही है। और आप मौन हो, मौन अच्छा नहीं है। कहा कि हमारा तो संकल्प था कि राम भूमि हमारी है। राम के देश में राधव की ही पूजा होगी बाबर की नहीं। यहीं तो मेरा संकल्प था जो सिद्दी तक पहुँचा। भारत की अस्मिता को बचा पुराने वैभव में लाकर विश्व गुरु का दर्जा दिलवाने के लिए हर भारतीय को प्रण लेना होगा। कथा के उपरांत महाआरती का आयोजन किया गया वहीं छप्पनभोग प्रसाद का वितरण भी किया गया। मौके पर मुख्य यज्ञमान अमरेन्द्र कुमार सिंह, व्यवस्थापक सत्येन्द्र सिंह राणा, अरूण झा, सचिन वशिष्ठ, मीडिया प्रभारी पदमाकर सिंह लाला, रविन्द्र कुमार सिंह, अलका सिंह, सत्येन्द्र सिंह, अर्पिता चौहान सहित अन्य मौजूद थे।
दीदी माँ ॠतंभरा के भजनों पर झूमे श्रद्धालु, भक्ति की सरिता में लगाए गोते
श्रीमद्भागवत कथा के दरम्यान साध्वी दीदी माँ ॠतंभरा ने अपनी अमृतमयी वाणी से “बेला अमृत भया आलसी सो रहा, झूलने में झूले नंदलाल, झूलाओं रे सजनी, जगाया तुमको कितनी बार, वेदों का उपदेश यहीं है, गीता का उपदेश यहीं है जगाया तुमको कितनी बार, माखन खा गयो माखन चोर… आदि भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे। उपस्थित लोगों ने भक्ति रस की सरिता में गोते लगाए। मौके पर मुख्य यज्ञमान अमरेन्द्र कुमार सिंह, व्यवस्थापक सत्येन्द्र सिंह राणा, अरूण झा, सचिन वशिष्ठ, मीडिया प्रभारी पदमाकर सिंह लाला, रविन्द्र कुमार सिंह, अलका सिंह, सत्येन्द्र सिंह, अर्पिता चौहान सहित अन्य लोगों की सक्रियता धार्मिक भाव को प्रतिबिंबित कर रही है।