बिहार ब्रेकिंग
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी महाराज के 550वें प्रकाश गुरूपर्व पर राजगीर के शीतल कुंड गुरुद्वारा में मत्था टेकने के बाद अरदास में शामिल हुए। देश के अलग-अलग हिस्सों से आये जत्थेदारों ने मुख्यमंत्री को सरोपा एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर उनका स्वागत किया। राजगीर के हॉकी ग्राउंड में बने लंगर हॉल में मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं को लंगर परोसने के बाद स्वयं लंगर छका। गुरुनानक देव जी महाराज के 550वें प्रकाश गुरूपर्व के अवसर पर सिख श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने 550वें प्रकाश गुरूपर्व में शामिल सभी श्रद्धालुओं, जत्थेदारों एवं सेवादारों का अभिनंदन किया। वाहे गुरुजी की खालसा, वाहे गुरूजी की फतेह… से अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2009 के दिसंबर माह में 7 दिन आकर हम राजगीर में ठहरे थे। उस समय शीतल कुंड गुरुद्वारा आकर यहां की स्थिति को देखा और बाबा अजायब सिंह से पूरी जानकारी ली। बाबा अजायब सिंह भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद शीतल कुंड गुरुद्वारे में ही अपनी सेवा दे रहे थे, उनका वर्ष 2016 में देहांत हो गया। राजगीर में गुरुनानक देव जी महाराज के प्रकाश पर्व की शुरुआत हो गयी है, जिसका हर वर्ष निरंतर आयोजन किया जाएगा। इसके लिए आपकाे चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। 550वें प्रकाश गुरूपर्व में इस बार बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए हैं। नालंदा जिला में ही हमारा घर है और हम ताे शुरू से ही यहां आते रहते हैं। बड़े पैमाने पर यहां गुरुद्वारा का निर्माण हो रहा है, जिसके शिलान्यास कार्यक्रम में बाबा मोहिंदर सिंह जी ने मुझे आमंत्रित किया था। हमारे लिए यह सम्मान की बात है। गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाश पर्व और अब गुरुनानक देव जी महाराज के 550वें प्रकाश पर्व में भी बिहार राज्य योजना पर्षद के उपाध्यक्ष श्री जी0एस0 कंग आैर मुख्यमंत्री के परामर्शी श्री अंजनी कुमार सिंह का काफी सहयोग रहा है। राजगीर में बहुत अच्छी लंगर चल रही है जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं, इसकी कभी किसी ने कल्पना नहीं की होगी। राजगीर से गुरुनानक देव जी महाराज का जो संबंध रहा है, इसे मीडिया को प्रमुखता से दिखाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोगों तक जानकारी पहुंच सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि 1469 ई0 में ननकाना साहिब में गुरुनानक देव जी महाराज का जन्म हुआ था, वहां आने-जाने का रास्ता इस बार से हो गया है। यह बड़ी अच्छी बात है। गुरुनानक देव जी ने चारों ओर की यात्रा की थी। वर्ष 2017 में हम गुरुद्वारा बेर साहिब का दर्शन करने गए थे, जहां गुरुनानक देव जी को ज्ञान प्राप्त हुआ था। सुल्तानपुर बेन नदी में स्नान करते समय गुरुनानक देव जी महाराज तीन दिनों तक अंतर्ध्यान होने के बाद प्रकट हुए थे। प्रकट होने पर ‘एक ओंकार सतनाम’ उन्हाेंने कहा था यानि ईश्वर एक है। हिदुस्तान में उन्होंने जो यात्रा की उसे उदासी यात्रा के नाम से जाना जाता है। सबसे पहले पूरब दिशा की यात्रा कर बक्सर से गंगा नदी के द्वारा वे पटना आये थे। पटना में जैतामल जी उनके शिष्य बने थे जो मुक्ति चाहते थे। गुरुनानक देव जी ने कहा था कि हम फिर आएंगे। इसक बाद नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी घोड़े पर सवार होकर वहां पहुंचे और खिड़की के माध्यम से बंद दरवाजे के अंदर पंहुचकर उसी स्थान पर बैठें जहां गुरुनानक देव जी बैठे थे तब जाकर जैतामल जी को मुक्ति मिली। गुरु तेगबहादुर जी को गुरुनानक देव जी का ही अवतार माना जाता है। अक्षम होने के कारण जैतामल जी के आग्रह पर गंगा माता ने गाय के रूप में खुद जैतामल जी के पास आकर उन्हें प्रतिदिन स्नान कराती थी, जिसके कारण पटना गंगा तट के उस जगह का नाम गायघाट पड़ा। पटना के बाद गुरुनानक देव जी गया, नवादा होते हुए होली के समय राजगीर पहुंचे थे। स्थानीय लोगों के अनुरोध पर उनके चरण स्पर्श मात्र से गर्म कुंड का पानी शीतल हो गया और तब से यह शीतल कुंड में तब्दील हो गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘ओंकार एक है’ का नारा गुरुनानक देव जी ने दिया था, जिससे सबको सबक लेनी चाहिए। गुरुनानक देव जी का संदेश है कि लोभ का त्याग कर अपने हाथ से मेहनत कर धन अर्जित करो। यह गाँधीजी के सात सामाजिक पाप में भी है लेकिन कुछ लोग आज कल गड़बड़ करके धन कमा रहे हैं, जो बुरी चीज है। किसी का हक छिनने की बजाय दूसरों की मदद करो। हम धनी हैं, इसका घमंड मत करो। तनावमुक्त रहकर अपना काम करते रहना चाहिए। संसार को जीतने से पहले अपने विकारों और बुराइयों पर विजय पाओ। अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है इसलिए विनम्र रहकर लोगों की सेवा करो। संसार को एक घर और उसमें रहने वाले लोगों को एक परिवार मानो। स्त्री जाति का आदर करो। गुरुनानक देव जी ने 500 साल पहले ये बातें कही थी। नारी सशक्तिकरण के लिए बिहार में जो काम हुआ है उससे महिलाओं में जागृति आयी है। गुरुनानक देव जी का मानना था कि समाज में एकता, भाईचारा, प्रेम, समानता और आध्यात्मिक ज्योति का संदेश देना चाहिए। राजगीर से सभी धर्मों का नाता है आैर हर 3 वर्ष पर यहां मलमास का मेला लगता है। मान्यता है कि मलमास मास में हिन्दू धर्म के 33 करोड़ देवी-देवता राजगीर में ही निवास करते हैं। पंच पहाड़ी पर यहां अनेक जैन मंदिर हैं। ज्ञान प्राप्ति से पहले और ज्ञान प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध भी यहां आए थे। मकदूम साहब भी राजगीर आये थे इसलिए राजगीर सभी धर्मों की धरती है। यह प्राकृतिक जगह है आैर हमलोग इको टूरिज्म पर भी काम कर रहे हैं। राजगीर में हर समय का इतिहास मिलेगा। हर वर्ष अक्टूबर से मार्च माह के दौरान देश भर से बड़ी संख्या में लोग राजगीर आते हैं जो अब शीतल कुंड गुरुद्वारे को भी देखने आएंगे। पहले और दसवें गुरु के लिए आपलोग बिहार की धरती पर आते हैं और निरंतर आते रहियेगा। इस अवसर पर जत्थेदार इंद्रजीत सिंह जी यूकेवाले, जत्थेदार मोहिंदर सिंह जी वर्मिंघम यूके, शीतल कुंड गुरुद्वारा के ग्रंथी मंजीत सिंह, बाबा कश्मीर सिंह जी भूरीवाले, बाबा रणजीत सिंह, जत्थेदार अवतार सिंह, बाबा मोहिंदर पाल सिंह ढिल्लन, ग्रामीण कार्य मंत्री एवं नालंदा जिले के प्रभारी मंत्री शैलेश कुमार, भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, ग्रामीण विकास सह संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार, कला संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री प्रमोद कुमार, विधायक रवि ज्योति, विधायक चंद्रसेन प्रसाद, मुख्यमंत्री के परामर्शी अंजनी कुमार सिंह, उपाध्यक्ष बिहार राज्य योजना पर्षद जी कंग, मुख्य सचिव दीपक कुमार, पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पाण्डेय, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, सुमित सिंह कलशी सहित अन्य गणमान्य लोग, वरीय अधिकारीगण, सिख संगत, सेवादार एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे।