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वक्ताओं ने कहा सेमिनार का विषय वर्तमान भारत की जरूरत
स्थानीय पटुआहा स्थित ईस्ट एन वेस्ट टीचर ट्रेनिंग काॅलेज में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का दीप प्रज्वलित कर विधिवत शुरुआत की गई। उद्घाटन समारोह के मौके पर विभागाध्यक्ष शिक्षाशास्त्र पटना विश्वविद्यालय पटना डाॅ खगेन्द्र कुमार, महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के फस्ट कोर्ट मेंबर सह भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के सिंडीकेट सदस्य डॉ रामनरेश सिंह ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के अधिषद सदस्य डाॅ कुमार संजीव, ईस्ट एन वेस्ट फाउण्डेशन पटना के चेयरमैन डॉ रजनीश रंजन भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्या मनीषा रंजन एवं काॅलेज के प्राचार्य डाॅ एन के झा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की आगाज किया।कार्यक्रम की शुरुआत मिथिला की पारम्परिक स्वागत गीत एवं महाविद्यालय के प्रार्थना जय जय भैरवी से की गयी। सेमिनार में आगत सभी अतिथियों का स्वागत मिथिला प्रिंटिंग युक्त चादर, पाग एवं पुष्पगुच्छ के साथ साथ चारों प्रमुख धर्मों के धार्मिक ग्रंथ और स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया। आगत अतिथियों का स्वागत व सेमिनार का विषय प्रवेश करते हुए चेयरमैन डॉ रजनीश रंजन ने गीता के पहले श्लोक से अभिभाषण का शुरूआत किया। सेमिनार का विषय प्रवेश करते हुए उन्होंने धार्मिक ग्रंथों की महत्ता एवं रामचरित्र को वर्तमान समय की जरूरतों से जोड़ आवशयक बताया साथ ही समाज के उत्तरोत्तर विकास हेतु कृष्ण दर्शन को आवशयक बताया।
उन्होंने कहा कि सभी में विश्व की पहली धर्म ग्रंथ श्रीमदभागवत गीता है, जिसकी जयंती अगहन शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है।सेमिनार संयोजक मनीषा रंजन के संचालन में आयोजित इस सेमिनार को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बीएनएमयु के सिंडीकेट सदस्य डॉ रामनरेश सिंह ने कहा कि डाॅ रजनीश रंजन के द्वारा सेमिनार का विषय कहीं न कहीं वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के बदहाली पर पहली चौट है। सेमिनार के विषय को भारतीय शिक्षा और धर्म के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि धर्म राष्ट्र और समाज का अनुशासन है धर्म का अर्थ कहीं से भी रिलीजन नहीं है धर्म एक जीवन शैली है। कहा कि वेद केवल धर्म ग्रंथ नहीं है बल्कि जीवन जीने की पद्धति है।उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2019 के एक कड़ी के रूप में राज्य में पहली बार किसी महाविद्यालय ने इस गंभीर विषय पर चिंतन करने का साहस दिखाया है। डाॅ सिंह ने कहा कि इस देश की पैंसठ प्रतिशत आवादी युवा है। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के उस उक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के युवा शक्ति ही राष्ट्र शक्ति है।कहा आज यह सेमिनार भारत, शिक्षा एवं धर्म पर केन्द्रित है।उन्होंने कहा कि वर्तमान में भटके हुए युवाओं को पटरी पर लाने हेतु यह सेमिनार काफी सिध होगा। उन्होंने अपनी बातों को युवा, धर्म एवं शिक्षा को समर्पित करते हुए कुरान की आयतें, गीता के श्लोक, वेदों के विशेष ज्ञान पर जोड़ देते हुए कहा कि आज से सभी छात्र अध्यापकों को संकल्प लेने की जरूरत है कि प्रति दिन अपने अपने धार्मिक ग्रंथों के एक पंक्ति का अध्ययन करते हैं तो डेढ़ वर्ष के अंदर वह धार्मिक ग्रंथ मानसिक पटल पर आ जाएगा। सेमिनार को संबोधित करते हुए डाॅ कुमार संजीव ने कहा कि धार्मिक ग्रंथ में जीवन का सलीका सिखाता है, अनुशासन सिखाता है एवं कर्तव्य पथ पर निष्ठा पूर्वक कार्य करने की प्रेरणा देती है। उन्होंने धर्म को तीन भागों में बांटते हुए कहा कि तत्व मीमांसा, ज्ञान मीमांसा एवं मूल्य मीमांसा साथ ही जैन धर्म एवं बौध धर्म के धार्मिक पुस्तक की पुरजोर वकालत करते हुए बौध धर्म के पंचशील एवं जैन धर्म को पंचमहाव्रत को यदि जीवन में उतारने का प्रयास किया जाता है तो विश्व शांति की कल्पना की जा सकती है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ खगेनद्र कुमार ने कहा कि आज का यह सेमिनार वर्तमान शिक्षा जगत की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महामहिम कुलाधिपति सह राज्यपाल, को सेमिनार की विषय से अवगत कराने की जरूरत है।कहा कि अनिवार्य रूप से इसे जबतक शामिल नहीं किया जाता है तबतक मूल्य, व नैतिक स्तर का विकास युवाओं में संभव नहीं है।सेमिनार का उदघाटन समारोह के मौके पर दिल्ली दूरदर्शन केन्द्र के कलाकार शाहिद अली ने खुबसूरत शिव तांडव की प्रस्तुति देकर सेमिनार को धार्मिक व साहित्यिक वातावरण में ला दिया। इस मौके पर काॅलेज के प्राध्यापक सह जन समपर्क पदाधिकारी अभय कुमार, मिर्जा जिशान बैग, मिथिलेश कुमार, निलेश राय, अंशु कुमार गुप्ता, विनोद विनायक सहित काॅलेज के सभी प्राध्यापक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी व शिक्षकेत्तर कर्मचारी सेमिनार को सफल बनाने में लगे थे।