बिहार ब्रेकिंग-रविशंकर शर्मा-बेगूसराय
कहा जाता है कि मिथिला की धरती सिमरिया तीर्थराज है जहाँ माता जानकी के समय से ही कल्पवास मेले का आयोजन होता रहा है। इस दौरान छोटी छोटी कुटिया और टेंट पंडालों में श्रद्धालु पूरे महीने सूर्योदय पूर्व गंगास्नान कर भक्ति ले लीन हो जाते हैं। बड़े बड़े धर्माचार्यों द्वारा कथा सत्संग का लाभ लेते है साथ ही एकांत में ध्यान और चिंतन किया करते हैं और इस प्रकार पूरे महीने कल्पवास के दौरान घर परिवार माया मोह को त्यागकर प्रभु भक्ति में लीन रहते हैं।
हालाँकि इस मेले को अब राजकीय दर्जा प्राप्त हो चुका है इसलिये भीड़ भी बढ़ती जा रही है और इसलिये प्रशासनिक इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे है। कुछ संत इससे नाखुश नजर आए। और गंदगी के लिए प्रशासन को जमकर कोसा। कल्पवास के शुरुआत की बात करे तो इसे लेकर विभिन संतों के अलग अलग मत है कोई इसे अनादि काल का बताते हैं तो कोई माँ जानकी के काल का। बहरहाल आज कार्तिक पूर्णिमा होने के कारण भीड़ को सम्हालना प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण रहा।