बिहार ब्रेकिंग-कुणाल कुमार-सुपौल
नेपाल में हो रही बारिश से जहां कोशी का जलस्तर बढ़ रहा है वही कोशी तटबंध के भीतर पड़ने वाले सैकड़ो गांव में बाढ़ का पानी घुस जाने के बाद घर से बेघर हुए बाढ़ पीड़ितों की अनदेखी जिला प्रशासन द्वारा हो रही है। ताजा मामला सुपौल जिले से जुड़ा है, यहां हर साल बाढ़ पीड़ित घर से कुछ महीने के लिए बेघर हो जाते हैं, लेकिन बाढ़ पीड़ितों के जिंदगी को सवारने वाली सरकार के दावे फिसड्डी ही साबित होती हुई नजर आती है। सरकार भले ही बाढ़ आपदा की तैयारी के दावों करे, मगर सरजमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। 15 जून से 31 अक्टूबर तक बिहार सरकार के कैलेंडर में बाढ़ आपदा की अवधि घोषित होने के बाबजूद कोशी इलाके में बाढ़ के पूर्व की तैयारी सिर्फ कागजो तक सिमट कर रह गयी है। यह मामला देखने को मिला है सुपौल जिले में जहां बाढ़ आपदा 15 जून से शुरू हो चुकी है और कोशी नदी अपने उफान पर है, बावजूद कोशी नदी के आसपास बसे लोगो के लिए मुहैया होने वाली सुविधा के नाम पर जिला प्रशासन के अधिकारी खानापूर्ति करने में जुटे है वही इलाके के लोग खुद संसाधन की जुगत में लगे है।
ये नजारा है कोशी तटबंध के भीतर बसे लोगो की जो बाढ़ के कारण सुरक्षित स्थानों का रुख कर रहे है। जलावन से लेकर मवेशी तक को लेकर फिलहाल ये तटबंध पर पहुंच गए है लेकिन आगे क्या होगा किसी को भी पता नहीं। हालांकि जिला प्रशासन इन्हें सुरक्षित निकालने के लिए नाव मुहैया तो प्रत्येक वर्ष करवाती आ रही है, इस बार भी नाव बहाली का निर्देश दिया गया या यू कहे कागज पर नाव बहाल हो चुके है लेकिन नदी में एक भी सरकारी नाव जरूरतमंद बाढ़ पीड़ितों तक पहुंच नहीं सकी है। पिछले कई वर्षों बाद जुलाई के महीने में कोशी नदी का जलस्तर 2 लाख 29 हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज हो गया है लेकिन बाढ़ से घिरे पीड़ितों को अब तक नाव नहीं मिले जिन्होने हिम्मत की वो बाहर निकले वर्ना कई लोग अब भी गांव में दिन गुजारने को विवश हैं।