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जल अधिग्रहण क्षेत्रों में हो रही भारी बारिश के कारण जयनगर अनुमंडल मुख्यालय स्थित कमला नदी ने विकराल रूप ले लिया है। कमला पुल के उपर से डेढ़ फिट पानी के बहाव के कारण प्रशासन ने एहतियात के तौर पर पुल पर आवागमन को पूरी तरह से बंद कर दिया है। वहीं, लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने उन्हें खतरे को लेकर सूचना नहीं दी। इस वजह से हजारों लोगों को काफी क्षति हुई है। बताया जा रहा है कि अब तक के इतिहास में कमला नदी ने अपना विकराल रूप धारण कर सन् 1987 के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया है। शनिवार की सुबह एकाएक पानी के दबाव के कारण कमला नदी खतरे के निशान से 1 मीटर ऊपर बह रही है। बाढ़ के कारण कमला नदी के पूर्वी व पश्चिमी तटबंध के बीच बसे हजारों लोगों को घर से बेघर होना पड़ा। जयनगर प्रखंड के बेलही दक्षिणी पंचायत के ईसलामपुर, बेला, खैरामाठ ,बेलही पश्चिमी पंचायत के अकौन्हा, बलडिहा, बेतौंहा, बेला, पङवा बेलही पंचायत के खैरामाठ डोङवार पंचायत के ब्रह्मोतर व डोङवार, कोरहिया, देवधा, बरही बैरा समेत अन्य पंचायत के दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश करने से जान माल की भारी क्षति हुई है। स्थानीय लोगों की मांने तो मधुबनी जिला प्रशासन बाढ़ प्रभावित इलाकों के बदले कमला पुल का जायला ले रहे हैं। जयनगर प्रखंड के ऐसे दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश करने से लोग अपने घरों में फंसे हुए हैं। बचाव के लिए स्थानीय प्रशासन के द्वारा कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है।लोगों ने बाढ़ से हुई भारी नुकसान पर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि समय रहते नदी में जल स्तर में भारी वृद्धि पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर चले जाने की सूचना देते तो इतना जान माल का नुकसान नहीं होता।
इधर नदी में जल स्तर में भारी वृद्धि के कारण कमला पुल के उपर से पानी के बहाव के कारण पश्चिमी शाखा नहर क्षतिग्रस्त हो गया है। वहीं, नेपाली सीमा के समीप बलुआ टोला, अकौन्हा गांव के पास तटबंध में रिसाव के कारण करीब 50 मीटर तक तटबंध टूट जाने के कारण अकौन्हा व बलडिहा गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। वहीं नव निर्माण नेपाली रेलवे टैक भी बाढ़ के पानी के दबाव के कारण बह गया है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में अभी तक प्रशासन के द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई है। एसडीआरएफ के टीम का कोई अता पता नहीं है। मधुबनी जिला पदाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने जयनगर कमला पुल का जायजा लेने के बाद सिघराही गांव में कटाव स्थल का भी जायजा लिया। जयनगर में पचास हजार से अधिक की आबादी बाढ़ से प्रभावित हैं। सैकड़ो परिवार घर छोड़ कर ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं।