
बिहार ब्रेकिंग-रविशंकर शर्मा-बाढ़

अनुमंडल अधिकारी सुमित कुमार और सहायक पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह द्वारा जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याएं सुनी गई। एसडीओ को जमीन से जुड़े मामलों और विस्थापितों से जुड़ी समस्याओं पर शिकायत सुनने के लिए अधिकृत किया गया था। वहीं सहायक पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह के पास एनटीपीसी में सक्रिय स्थानीय रंगदारों, कंपनी के ठेकेदारों से प्रभावित मजदूर अपनी समस्याएं लेकर आए थे। जनता दरबार में 200 से अधिक फरियादी उपस्थित हुए तथा 50 से अधिक लोगों ने अपना लिखित आवेदन सहायक पुलिस अधीक्षक और अनुमंडल दंडाधिकारी के यहां समर्पित किया।
एनटीपीसी के मजदूरों के शोषण का मामला खुलकर आया सामने
सहायक पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह के जनसंवाद कार्यक्रम में उपस्थित मजदूरों की समस्याएं थी कि हर महीने इनके मजदूरी के पैसे से दो से चार हजार रुपए जबरन ले लिए जाते हैं और विरोध करने पर इन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है। कई लोगों ने खुलकर लल्लू मुखिया, रणवीर यादव, विजय यादव सरीखे लोगों का नाम लेते हुए कहा कि ये लोग रंगदारी करते हैं और मजदूरों के मेहनताने से हर महीने 2 से चार हजार रुपए जबरन वसूली करते हैं तथा विरोध करने पर इनका गेट पास छीन लिया जाता है। विभिन्न कंपनियों के ठेकेदारों द्वारा मजदूरों को जनता दरबार में आने से रोका भी गया था। शिकायत मिलने के बाद सहायक पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह थानेदारों और पूरी पुलिस फोर्स के साथ एनटीपीसी के अंदर गई और मजदूरों को जनता दरबार में आने के लिए प्रेरित किया गया। इसके बावजूद कई ठेकेदार और एनटीपीसी के स्थानीय अफसरों द्वारा मजदूरों को रोकने की शिकायतें भी मिली।
जनता दरबार में मौजूद लोगों को डराने और प्रलोभन देने की शिकायतें मिलने के बाद एक ठेकेदार को हिरासत में भी लिया गया। इसके बाद बड़ी संख्या में फरियादी उमड़ पड़े। सभी मजदूरों की एक ही शिकायत थी कि यहां पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा तय मजदूरी के प्रावधानों का उल्लंघन किया जाता है। वाजिब मेहनताना भी नहीं दिया जाता है। इसके अलावा जो भी मजदूरी मिलती है उसमें से 2 से 4 हजार रुपए काट लिए जाते हैं। विरोध करने वाले लोगों को मारे पीटे जाने की शिकायतें भी मिली। कई लोगों के गेट पास भी जबरन छीन लिए गए। कई लोगों ने कई तरह की शिकायतें की। अधिकांश शिकायतें अवैध वसूली और रंगदारी से जुड़ी थी। जनता दरबार में यह बात भी सामने आई कि एनटीपीसी के कुछ अधिकारी और ठेकेदारों की मिलीभगत है जिसके कारण यहां विरोध करने वाले मजदूरों को या तो नौकरी से निकाला जाता है या फिर उन्हें डरा धमका कर खामोश कर दिया जाता है। सभी लोगों के आवेदनों को लिया गया है तथा उनके आवेदनों की सत्यता की जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं एसडीएम के जनता दरबार में कई लोगों ने शिकायत की कि जिनकी जमीन अधिग्रहित हुई थी उनको नौकरी से भी निकाल दिया गया। ऐसे प्रभावित लोगों से शुरुआती कुछ सालों तक काम कराया गया और इसके बाद इनको बिना वजह नौकरी से निकाल दिया गया है। जनता दरबार में सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए थे। मोकामा, बाढ़, एनटीपीसी, पंडारक, समया गढ़ और अथमलगोला थानों की पुलिस के अलावा भारी संख्या में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी। स्थानीय ठेकेदारों और रंगदारों के कारण मजदूर यहां आने से भी डर रहे थे लेकिन प्रशासन द्वारा सुरक्षा का आश्वासन दिए जाने और पुलिस बंदोबस्त के कारण बड़ी संख्या में फरियादी उमड़ पड़े।