
कहते हैं कि जिसके सिर पर कुछ कर गुजरने का जुनून सवार होता है तो फिर वो हर मुश्किल हालात का सामना करते हुए अपनी मंजिल को हासिल कर ही लेता है. ऐसे लोग अपने किसी भी काम के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं होते बल्कि वो आत्मनिर्भर होकर अपने सभी कामों को अंजाम देते हैं और दुनिया के सामने एक अनोखी मिसाल पेश करते हैं. जुनून, स्वप्रेरणा, श्रमदान और आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश करनेवाला एक ऐसा ही अनूठा उदाहरण छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से मात्र पच्चीस किलोमीटर दूर आमदी नाम के एक गांव में लोगों द्वारा खुद तालाब बना लेने का है. यह गांव हर साल गर्मी में पानी के लिए तरस जाता था. लेकिन विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाली राज्य सरकार ने कोई सुध नहीं ली. भले ही ऐसे संकल्प मामूली हो, लेकिन इतना तय है कि गंभीरता से इन्हें निभाने पर ये कोई न कोई उपहार जरूर देते हैं, एक मिसाल कायम करते हैं. चाहे तालाब बनाने, सड़कें बना लेने, कुएं खोदने, पुल बना देने, स्कूल चलाने जैसे तमाम काम हैं जो लोगों ने अपनी ओर से पहल करते हुए पूरे किए हैं.आमदी तो राजधानी के एकदम करीब गांव है, जब वहां के लोगों की जरूरतों पर सरकार आंखें मूंदे हैं तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूरदराज के गांवों में जन-सुविधाओं का क्या हाल होगा. आमदी गांव के लोग लंबे समय से सरकार से तालाब बानाने की मांग कर रहे थे. लेकिन जब किसी ने नहीं सुनी तो लोगों ने खुद ही इस काम को अंजाम देने का संकल्प किया और जुट गए. मई, 2016 से चार एकड़ इलाके में तालाब बनाने का काम शुरू हुआ था. गांव के सारे लोगों ने श्रमदान किया. ऐसी ही और भी मिसालें हैं .
