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संवाद में आयोजित बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लि. के 44 वें स्थापना दिवस समारोह को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 2003 में तत्कालीन सरकार ने राज्य के 18 बोर्ड-निगमों को बंद करने का निर्णय लिया था। एनडीए सरकार के गठन के बाद नाउम्मीदी के बीच न केवल इन बोर्ड-निगमों को पुनर्जीवित किया गया बल्कि सड़क, शिक्षा, चिकित्सा, भवन निर्माण व शहरी प्रक्षेत्रों आदि के आधारभूत संरचना विकसित करने के लिए नए निगमों की स्थापना की जो आज न केवल लाभांश अर्जित कर रहे हैं, बल्कि राज्य के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान भी दे रहे हैं। सड़क प्रक्षेत्र में पूर्ववर्ती सरकार ने अपने 15 वर्षों के शासनकाल में जहां मात्र 6,071 करोड़ रुपये खर्च कर पाई थी, वहीं एनडीए सरकार ने अपने 14 वर्षों में 1 लाख 25 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च किया है।
पहले की सरकार ने जितनी सड़कें नहीं बनी उससे ज्यादा अलकतरा की खरीद कर 1996-97 में अलकतरा घोटाला किया जिसके लिए तत्कालीन मंत्री तक को जेल जाना पड़ा है। उस समय बिहार की सड़कें गड्ढों के लिए जानी जाती थी और आज बिहार की पहचान अच्छी सड़कों के लिए है। मोदी ने कहा कि जनहित में राज्य सरकार ने 37.66 करोड़ राजस्व के नुकसान के बावजूद 01 अप्रैल, 2018 से अपने सभी पुलों पर लगने वाले टॉल टैक्स को खत्म कर दिया। अब राज्य सरकार न केवल राज्य उच्च पथों का निर्माण करती है, बल्कि 31 मार्च, 2020 के पहले तक हर गांव, टोलों को पक्की सड़कों से जोड़ने के साथ गांव तथा शहरों की गलियों तक का पक्कीकरण कर देगी।