न्यूज़ डेस्क-दिल्ली
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन गुरुवार को एम्स में हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी विगत कई माह से बीमार थे और ग्यारह अगस्त से उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री ने गुरुवार को शाम पांच बज कर पांच मिनट में अंतिम सांस लिया। पूर्व प्रधानमंत्री के निधन से पूरे देश मे शोक की लहर दौड़ गई।वाजपेयी डिमेंशिया रोग के शिकार थे। इसके अलावा उन्हें गुर्दे (किडनी) में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण जैसी स्वास्थ्य समस्याएं भी थी। अटल बिहारी वाजपेयी को यूरिन इन्फेक्शन और किडनी संबंधी बीमारी भी थी। उनका एक ही गुर्दा काम करता था। बुधवार को हालत बिगड़ने के बाद वाजपेयी वेंटिलेटर सपॉर्ट पर रखे गए थे, और एम्स के सीएन टावर स्थित आईसीयू में डॉक्टरों की एक टीम लगातार उनकी हालत पर नजर रखी हुई थी और शाम करीब 05:05 बजे को हृदयगति रुकने से उनकी मौत हो गई। पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी देश के उन नेताओं में से थे जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। अटल बिहारी वाजपेयी अपने ओजस्वी भाषणो के लिए दुनिया भर में खास पहचाने जाते रहे। संयुक्त राष्ट्र में उन्होंने ऐसा भाषण दिया था जिसे आज भी याद किया जाता है। यही नहीं, अटल बिहारी वाजपेयी अपनी पार्टी के अलावा विपक्ष के भी चहेते रहे थे। उनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर, 1924 को हुआ था। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व प्रखर वक्ता भी थे। बॉलीवुड के दिग्गज गायिका लता मंगेशकर और जगजीत सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं को अपने सुरों में भी पिरोया है। सुर कोकिला लता मंगेशकर ने ‘आओ मन की गाठें खोलें’ कविता को सुरबद्ध किया है। इसी तरह से गजल सम्राट जगजीत सिंह ने उनकी कविता ‘दूर कहीं रोता है’ को इस अंदाज में गाया कि इसे बार-बार सुनने को मन करता है। वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले महापुरुषों में से एक थे और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।
उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया। वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। कभी किसी दल ने आनाकानी नहीं की। इससे उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है। जनता के बीच प्रसिद्द अटल बिहारी वाजपेयी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो लगातार दो बार प्रधानमंत्री बने। वरिष्ठ सांसद श्री वाजपेयी जी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा (लोगों का सदन) में नौ बार और राज्य सभा (राज्यों की सभा) में दो बार चुने गए जो अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। श्री वाजपेयी जी अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राष्ट्रवादी राजनीति में तब आये जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन जिसने ब्रिटिश उपनिवेशवाद का अंत किया, में भाग लिया। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। उनकी यह रुचि वर्षों तक बनी रही एवं विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने अपने इस कौशल का परिचय दिया।
उन्हें भारत के प्रति उनके निस्वार्थ समर्पण और पचास से अधिक वर्षों तक देश और समाज की सेवा करने के लिए भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया। 1994 में उन्हें भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुना गया। उद्धरणानुसार:”अपने नाम के ही समान, अटलजी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे”। अटलजी जनता की बातों को ध्यान से सुनते और उनकी आकाँक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करते थे।