आनंद कौशल, प्रधान संपादक, देश प्रदेश मीडिया
बिहार डेस्कः विकास का सही पैमाना यही है कि समाज के उस तबके की तकदीर बदल जाए जो बेहद निचले पायदान पर है। निर्धनता जिसकी तकदीर है और पिछड़ेपन की वजह से जिसे बुनियादी जरूरतों के लिए भी मुहताज रहना पड़ा। विकास अगर उन गलियारों में उन जरूरतमंदों के बीच पहुंच कर उनकी तकदीर और तस्वीर बदलने लगे तो सही मायने में विकास की सार्थकता यही है। बिहार में विकास की यह सार्थकता राज्य सरकार ने साबित कर दी है। बिहार की एक बड़ी आबादी जो बेहद निर्धन है, जिसके पास बुनियादी सुविधाओं का अभाव है उसके कायाकल्प को लेकर बिहार सरकार कितनी गंभीर है यह साबित हुआ है। बिहार में ‘जीविकोपार्जन योजना’ में यह गंभीरता दिखती है। सरकार का संकल्प परिलक्षित होता है। बिहार सरकार अपनी कार्य पद्धति में समावेशी विकास को महत्व देती है। चंद कारखाने लगाने से सिर्फ विकास नहीं होता है बल्कि घर-घर रोजगार उपलब्ध हो, घर-घर का विकास हो यही विकास का मतलब है। देशी शराब एवं ताड़ी के उत्पादन एवं बिक्री में पारंपरिक रुप से कुछ परिवार जुड़े रहे हैं। शराबबंदी के बाद सर्वेक्षण में यह पता चला कि इनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है और इनके पास कोई वैकल्पिक रोजगार नहीं बचा है। ऐसे निर्धन परिवारों के साथ-साथ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य समुदायों के लक्षित अत्यंत निर्धन परिवारों की सतत् आजीविका, क्षमता निर्माण एवं वित्तीय सहायता के लिए सतत् जीविकोपार्जन योजना की शुरुआत की गई। लक्षित अत्यंत निर्धन परिवारों के लिए “सतत् जीविकोपार्जन योजना” की शुरुआत 26 अप्रैल 2018 को की गई है। अनुमान है कि इसके अंतर्गत लक्षित लगभग एक लाख अत्यंत निर्धन परिवारों को जीविकोपार्जन एवं आय आधारित गतिविधियों से जोड़ा जाएगा। बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) बिहार सरकार की ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन हेतु एक महत्वपूर्ण पहल है। गरीब महिलाओं के सशक्तिकरण एवं उत्थान की दिशा में जीविका की भूमिका उल्लेखनीय रही है। इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं एवं उनके परिवारों का आर्थिक, सामाजिक एवं संस्थागत सशक्तिकरण करते हुए उन्हें जीविकोपार्जन के विकल्प उपलब्ध कराना है। वर्ष 2007 से अब तक कुल 96 लाख परिवारों को 8.14 लाख स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा गया है एवं 49 हजार से अधिक ग्राम संगठनों का गठन किया जा चुका है। “सतत् जीविकोपार्जन योजना” के अंतर्गत ग्राम संगठनों द्वारा लक्षित परिवारों का चयन कर उनका जीविकोपार्जन एवं आय आधारित गतिविधियों से जुड़ाव किया जाएगा। इस योजना का क्रियान्वयन ग्रामीण विकास विभाग, बिहार सरकार द्वारा जीविका के माध्यम से किया जाएगा तथा योजना के तहत क्रमिक वृद्धि कार्यनीति तकनीकी अपनायी जाएगी। इस कार्यनीति के महत्वपूर्ण अवयव हैं। इस योजना के अंतर्गत लक्षित परिवारों को ग्राम संगठन द्वारा चयनित कर स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा जाएगा, जिसके अंतर्गत क्षमता संवर्धन हेतु निम्न कार्य किए जाएंगे। लक्षित परिवारों के बीच स्वयं सहायता समूह के क्रियाकलापों एवं विशेषताओं पर व्यापक सूचनाओं का संप्रेषण, लक्षित परिवारों का सतत् क्षमता संवर्धन, प्रत्येक 30-50 लक्षित परिवारों के लिए एक सामुदायिक संसाधन सेवी की उपलब्धता इसमें शामिल है। लक्षित परिवारों को जीविकोपार्जन अंतराल राशि-लक्षित परिवारों के पक्ष में जीविकोपार्जन गतिविधियों के फलीभूत होने तक दी जाएगी। जीविकोपार्जन निवेश राशि यानि इस अवयव के माध्यम से जीविकोपार्जन सूक्ष्म योजना के आधार पर ग्राम संगठन द्वारा लक्षित परिवारों को एकीकृत परिसंपत्ति के सृजन हेतु निवेश की दिशा में औसतन रुपया 60,000, अधिकतम रुपया 1,00000 प्रति परिवार सहयोग दिया जाएगा।
आजीविका एवं आय की विभिन्न गतिविधियों से जुड़ाव उद्यमिता प्रशिक्षण एवं विकास लक्षित परिवारों को उद्यम संचालन हेतु प्रशिक्षण देकर जीविका के विभिन्न उद्यमी विकास कार्यक्रम तथा बैंकों से जोड़ा जाएगा। जीविकोपार्जन एवं आय से संबंधित गतिविधियों से जुड़ाव यानि सूक्ष्म योजना के तहत लक्षित परिवारों को गव्य, बकरी एवं मुर्गी पालन, कृषि संबंधित गतिविधि, नीरा, अगरबत्ती निर्माण, मधुमक्खी पालन एवं स्थानीय तौर पर आजीविका के लिए अनुरुप गतिविधियों में सम्मिलित किया जाएगा। प्रत्येक गतिविधि हेतु क्षमता संवर्धन एवं वित्तीय सहयोग देने का प्रावधान किया जाएगा एवं प्रति इकाई लागत का निर्धारण कर उसी के अनुरुप वित्त पोषण किया जाएगा। कौशल विकास एवं नियोजन के तहत इन परिवारों के युवाओं को प्रशिक्षण देकर नियोजित किया जाएगा।साझेदारी एवं सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों से जुड़ाव के माध्यम से इस अवयव के अंतर्गत चिन्हित परिवारों को सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों से जोड़ा जाएगा, जिसमें मुख्यतः सात निश्चय कार्यक्रम, सामाजिक सुरक्षा, प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, छात्रवृति, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम एवं महादलित मिशन के अंतर्गत क्रियान्वित की जा रही है योजनाएं शामिल हैं। भूमिहीन परिवारों को सरकार के विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत बासगीत भूमि उपलब्ध करायी जाएगी। इस अवयव के तहत लक्षित परिवारों को आजीविका के विकासात्मक योजनाओं यथा-गव्य विकास योजना, समग्र बकरी एवं भेड़ विकास योजना, समेकित मुर्गी विकास योजना तथा अन्य योजनाओं के साथ जोड़ा जाएगा। योजना के क्रियान्वयन में तकनीकी सहायता के लिए विभिन्न संस्थाओं के साथ साझेदारी की जाएगी।ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सतत् जीविकोपार्जन योजना की शुरुआत के लिए जीविका समूह के गठन का काफी प्रयास किया गया। इसके लिए वर्ल्ड बैंक से कर्ज लेकर प्रारंभिक दौर में छः जिलों एवं 44 प्रखंड से जीविका की शुरुआत की गयी। शुरुआत में मुजफ्फरपुर में मुख्यमंत्री ने भ्रमण किया और स्वयं सहायता समूह से मिलने के दौरान यह महसूस हुआ कि इससे महिलाओं में कितनी जागृति आयी है। इससे प्रभावित होकर पूरे राज्य में इसे विस्तारित किया गय। राज्य में 8 लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूह का गठन हो चुका है जिसके माध्यम से 96 लाख से ज्यादा महिलायें जुड़ चुकी है। 10 लाख स्वयं सहायता गठन का लक्ष्य निर्धारित रखा गया है। राज्य में जीविका समूह इतने बेहतर ढंग से काम कर रही है कि इससे प्रभावित होकर केंद्र सरकार आजीविका नाम से यह योजना शुरू की है।