पटना: बिहार के पटना जिला में दो लोकसभा सीटें आती हैं- पटना साहिब और पाटलिपुत्र. पटना साहिब से भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा सांसद हैं, तो वहीं पाटलिपुत्र से रामकृपाल यादव. रामकृपाल राजद से भाजपा में शामिल हुए थे. अर्थात दोनों ही लोकसभा सीटों पर भाजपा काबिज है. इसी आधार पर भाजपा अपनी दावेदारी जता चुकी है. आगामी लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर एनडीए में बिहार में सीटों का बंटवारा अभी आधिकारिक तौर पर तय नहीं हुआ है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि राजधानी पटना की दोनों लोकसभा सीटें भाजपा के खाते में ही रहेगी. कहा जा रहा है कि इसके लिए भाजपा और जदयू के बीच मतभेद नहीं है.
पाटलिपुत्र सीट पर जोड़-तोड़ की सियासत
पाटलिपुत्र की संसदीय सियासत के लिए अभी से जोड़-तोड़ और होड़ शुरू है. जितना पुराना नाम, उतनी ही बड़ी लड़ाई के हालात बन रहे हैं. पिछली बार का चुनाव भी आसान नहीं था. दो बड़े सियासी दलों की प्रतिष्ठा दांव पर थी. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र इस बार भी सामाजिक समीकरणों के संघर्ष का गवाह बनेगा.
पाटलिपुत्रा का जातीय समीकरण
पाटलिपुत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो आपको बता दें कि यहां यादव मतदाताओं की संख्या 30 प्रतिशत से ज्यादा है जबकि इतनी ही संख्या सवर्ण मतदाताओं की भी है यही वजह है कि यादव जाति के सभी नेता इस सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं तो वहीं इस क्षेत्र में जनसंख्या के मामले में भूमिहार और मुसलमान दूसरे नंबर पर हैं, जो किसी भी पार्टी की जीत-हार तय कर सकते हैं।
परिसीमन के बाद यादव उम्मीदवार ही जीतते आए है चुनाव
परिसीमन के बाद हुए दो चुनावों में पाटलिपुत्र से यादव उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आये हैं. पहली बार 2009 में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और किसी जमाने में उनके मित्र रहे डा. रंजन यादव के बीच कांटे की टक्कर हुई थी. अखाडे में लालू परास्त हो गये थे. 2014 में लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती को राजद ने उम्मीदवार बनाया. उनका मुकाबला अपने ही दल से भाजपा में शामिल हुए रामकृपाल यादव से हुआ. रामकृपाल चुनाव जीत गये.
जदयू के रंजन यादव एक लाख के करीब वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. वहीं, इस बार भी मीसा भारती ने फिर चुनाव लड़ने का संकेत दिया है. उनके भाई तेज प्रताप यादव ने मीसा के लिए चुनाव प्रचार शुरू भी कर दिया है. पार्टी के दूसरे बड़े नेता भाई वीरेंद्र भी यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं. लेकिन, इतना तय है कि पाटलिपुत्र सीट से महागठबंधन में राजद ही चुनाव लड़ेगा और इसके उम्मीदवार का अंतिम फैसला लालू प्रसाद यादव करेंगे. महागठबंधन के भीतर पाटलिपुत्र सीट राजद को दिये जाने पर कोई विवाद भी नहीं है.
सीट को लेकर भाजपा में नही है कोई विवाद
इधर, भाजपा में केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव को दोबारा उम्मीदवार बनाये जाने को लेकर कोई विवाद अब तक सामने नहीं आया है. भाजपा के केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और राजद की मीसा भारती. तीसरे-चौथे की दावेदारी अभी पर्दे में दौड़ रही है. कभी लालू प्रसाद यादव तो कभी नीतीश कुमार के करीबी रह चुके रंजन प्रसाद यादव अभी पूरी तरह भाजपा के रंग में रंगे हैं. पाटलिपुत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए दोबारा बेकरार हैं. रंजन को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद का भी करीबी माना जाता है. वैसे भाजपा में प्रत्याशी को लेकर अभी हलचल नहीं है.
महागठबंधन से मीसा भारती है क्षेत्र में सक्रिय
महागठबंधन में मीसा भारती ने खुद को उम्मीदवार मानकर क्षेत्र में आना-जाना और मतदाताओं का मूड भांपना शुरू कर दिया है, किंतु कांग्रेस के संजीव प्रसाद टोनी राजद की दावेदारी को अनुकूल नहीं मान रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव मिलकर उम्मीदवारी तय करेंगे. संभावना जताई जा रही है कि अगले सप्ताह सीट बंटवारे की घोषणा होगी और सूची जारी कर दी जाएगी. इस सीट में छह विधानसभा क्षेत्र हैं शामिल. जिसमें पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में दानापुर, मनेर, फुलवारी, मसौढ़ी, पालीगंज और विक्रम विधानसभा की सीटें आती हैं.