बिहार डेस्कः बिहार के नियोजित शिक्षकों के ‘समान काम समान वेतन’ की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर अहम सुनवाई होनी है। कहा जा रहा है कि यह मामला अब निर्णायक मोड़ पर है और फैसले की ओर बढ़ रहा है। बिहार के तकरीबन 3 लाख 70 हजार नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है। सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच राज्य सरकार ने नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने को लेकर अपने हाथ खड़ कर दिए हैं.सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि सरकार की आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए कहा है कि सरकार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं हैं कि नियोजित शिक्षकों को अधिक वेतन दे सके. आपको बता दें कि 3.56 लाख नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन का मामला न्यायधीश एएम सप्रे और यूयू ललित की खंडपीठ में सुनवाई चल रही है. मंगलवार को सुनवाई के दौरान बिहार सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील दिनेश द्विवेदी ने पक्ष रते हुए कहा था कि राज्य सरकार आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है कि इन शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन दे सके.अगर इन शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया तो स्कूलों को बंद करना पड़ जाएगा.लिहाजा राज्य सरकार इन शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने में सक्षम नहीं है.