हेल्थ डेस्क: वसंत से होली के बीच मौसम परिवर्तन से शरीर में कई बदलाव होते हैं। इस दौरान दिन बड़े होने, सूरज की रोशनी बढ़ने, लहराती सरसों और रंग-बिरंगे फूल दिखने से लोगों के शरीर में ऐसे हॉर्मोन की मात्रा बढ़ जाती है जो मूड में बदलाव के लिए जिम्मेदार हैं। एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर नंद कुमार के मुताबिक कई शोध में यह साबित हो चुका है कि रोशनी बढ़ने से शरीर का तापमान, होर्मोन का स्राव, और नींद पर काफी सकारात्मक असर होता है। इसी मौसम में सबसे अधिक त्योहार भी होते हैं।
सेरोटोनिन की स्राव खुशी बढ़ाता है
दिल्ली के मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान (इबहास ) के निदेशक प्रोफेसर निमेष देसाई का कहना है कि सर्दियों में लोग कम सक्रिय होते हैं। इससे उनकी शरीर की जीवरासायनिक प्रक्रिया पर असर पड़ता है। सर्दियों के बाद जब वसंत आता है तो दिन बड़े होते हैं और धूप अधिक मिलती है। लोगों के सक्रिय होने और धूप मिलने से शरीर में सेरोटोनिन होर्मोन का स्राव अच्छी मात्रा में होने लगता है। यह होर्मोन खुशी के लिए जिम्मेदार है। इस रसायन का स्राव शरीर में तब होता है, जब हम खुद को मजबूत पाते हैं। इस तरह सुरक्षा का एहसास और खुद के प्रति अच्छा महसूस होता है।
उजले नजारे दिमाग को प्रेरित करते हैं
एम्स के प्रोफेसर नंद कुमार के मुताबिक वसंत के मौसम में फूलती हुई सरसों और प्रौढ़ होते गेहूं व अन्य फल-फूल प्रकृति को संतरंगी बनाते हैं। इसका भी असर तन-मन पर पड़ता है। उन्होंने बताया कि अवसाद से जूझ रहे लोगों के दिमाग को स्टिमुलेट करने के लिए कई तरह की दवाएं और थेरेपी दी जाती हैं। इसी तरह वसंत में रोशनी , पीले रंग के फूल, पक्षियों की चहचहाट भी दिमाग को स्टिमुलेट करने का काम करती है। इससे लोगों का मूड बेहतर होता है।
एंडोर्फिन हॉर्मोन दुख की अनुभूति नहीं होने देता दिल्ली के सरगंगाराम अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉक्टर राजीव मेहता के मुताबिक ऐसा देखा गया है कि सर्दियों के बाद वसंत की ओर आने पर लोगों में सक्रियता बढ़ जाती है। इससे उनके शरीर में पहले के मुकाबले एंडोर्फिन हॉर्मोन का स्राव अधिक होने लगता है। उन्होंने बताया कि एंडोर्फिन प्राकृतिक दर्द निवारक है। यह दर्द में सक्रिय होता है। हमें इसकी जरूरत होती है ताकि हम अपने दर्द से बाहर निकल सकें। व्यायाम करने और गतिविधियां बढ़ाने से इस रसायन का स्राव अधिक होता है। दृढ़ता और उत्साह के लिए यह होर्मोन जरूरी है।
मेलोटोनिन की कमी उत्साह बढ़ाती है
इबहास के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर ओमप्रकाश के मुताबिक इसी मौसम में सबसे अधिक त्योहार मनाए जाते हैं। त्योहार और सास्कृतिक गतिविधियां भी लोगों के दिमाग में खुशियों के लिए जिम्मेदार रसायनों का स्राव कराती हैं। उन्होंने बताया कि सर्दियों में नींद और आलस के लिए जिम्मेदार रसायन मेलोटोनिन का स्राव अधिक होता है लेकिन वसंत में धूप खिलने और रंग बिरंगे नजारे दिखने से इस होर्मोन का स्राव कम होता है।
शरीर का मेटोबोलिज्म बेहतर होता है
एम्स के मेडिसन विभाग के प्रोफेसर नवल विक्रम के मुताबिक एओक इंसान की विटामिन डी की 90 फीसदी जरूरत सूरज की रोशनी से पूरी होती है। विटामिन डी से केल्सियम और फॉस्फेट जैसे तत्वों की मात्रा नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इससे दांत और हड्डियां मजबूत होती हैं और साथ ही शरीर का मेटाबोलिज्म बेहतर होता है। वसंत के आगमन से पहले सर्दियों में ये दिक्कतें देखी जाती हैं।