सेंट्रल डेस्कः उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सह बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनावी साल में बड़ा मास्टरट्रोक खेला है। राजनीति के दाव-पेंचो और सियासी समीकरणों को बेहतरी से साधने का हुनर रखने वाली मायावती ने गरीब मुस्लिमों के लिए आरक्षण की मांग कर दी है। अनुसूचित जाति/जनजाति विधेयक में संशोधन का स्वागत करते हुए मायावती ने एक नया शिगूफा छोड़ते हुए आर्थिक आधार पर अल्पसंख्यकों को आरक्षण दिए जाने की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि गरीब मुसलमानों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए। मगर सवाल यही है कि यह होगा कैसे। 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण की व्यवस्था हो नहीं सकती है। ऐसे में आर्थिक आधार पर गरीब मुसलमानों को आरक्षण दिया जाता है तो दलितों और पिछड़ों का आरक्षण कोटा कम करना पड़ेगा। सवाल यह है कि क्या इसके लिए वह या उनकी गठबंधन की साथी समाजवादी पार्टी सहमत होंगी ? अगर नहीं तो मायावती के आर्थिक आधार पर गरीब मुस्लिमों को आरक्षण के बयान को सियासी करार दिए जाने में शायद ही किसी को परहेज हो।लखनऊ में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में मायावती ने कहा, ’यदि केंद्र सरकार उच्च जाति के गरीब लोगों को संविधान में संशोधन के जरिए आरक्षण देने के लिए कोई कदम उठाती है तो बीएसपी इसका सबसे पहले समर्थन करेगी।’ साथ ही मायावती ने कहा कि मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों में काफी गरीबी है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार उच्च जाति के लिए कोई कदम उठाती है तो मुस्लिमों व दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।