बिहार ब्रेकिंग
आजकल समाज मे प्रायः लोग डायबिटीज के शिकार होते जा रहे हैं। डायबिटीज के रोगी अगर अपना ख्याल रखे और निरंतर व्यायाम करें तो डायबिटीज पर काबू रखा जा सकता है। डायबिटीज के रोगी को अपनर खानपान पर भी खासा ध्यान रखना चाहिए। डायबिटीज के सुपर स्पेसलिस्ट एमबीबीएस डॉ के पी लाल ने बताया कि डायबिटीज एक ऐसी समस्या है जिसकी वजह से व्यक्ति के शरीर मे इंसुलिन निर्माण ठीक से नहीं हो पाता है और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर पाती हैं। इंसुलिन व्यक्ति के शरीर मे बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह खून से शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज पहुंचाता है। इसके अलावा ही यह मेटाबोलिज्म पर भो कई अन्य प्रभाव डालता है। व्यक्ति जो भी भोजन करता है वह भोजन शरीर मे ग्लूकोज प्रदान करता है जिसे कोशिकाएं शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में उपयोग करती हैं। यदि शरीर मे इंसुलिन मौजूद नहीं होता है तो शरीर सही से काम नहीं कर पाता है। इंसुलिन की कमी के कारण कोशिकाओं को ब्लड से ग्लूकोज भी नहीं पहुंच पाता है। जिसके कारण ग्लूकोज ब्लड में इकट्ठा हो जाता है और ब्लड में अत्यधिक ग्लूकोज विषाक्त हो जाता है। व्यक्ति को डायबिटीज किसी भी उम्र में हो सकता है। यह आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था के दौरान दिखाई देता है। इस रोग का सबसे सामान्य प्रकार है और 40 वर्ष सर अधिक उम्र के व्यक्तियों में डायबिटीज होना सामान्य बात हो गई है।डॉ बताते हैं कि डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है और व्यक्ति जीवन भर डायबिटीज सर पीडित रहता है। लेकिन डायबिटीज के लक्षणों से बिना किसी दवा के प्रतिदिन व्यायाम, सन्तुलित भोजनज़ समय और नाश्ता और वजन को नियंत्रित कर छुटकारा पाया जा सकता है। डायबिटीज के मरीजों के इलाज के लिए नियमित इंसुलिन का इंजेक्शन दिया जाता है और विशेष आहार के साथ व्यायाम करने की सलाह भी दी जाती है। जबकि डायबिटीज से पीडित लोगों के इलाज के लिए टेबलेट इंजेक्शन देने के बावजूद डायबिटीज नियंत्रित नहीं हो पा रहा है तो मरीज में इसकी गम्भीरता बढ़ने की संभावना प्रबल हो जाती है।
डायबिटीज के लक्षण: लगातार पेशाब आना, अत्यधिक भूख- प्यास लगना, बिना वजह शरीर का वजन घटना, पेशाब में कीटोन की उपस्थिति, थकान, चिड़चिड़ापन, अचानक वजन बढ़ना, आंखों से धुंधला दिखाई देना,घाव धीरे धीरे भरना, लगातार त्वचा, योनि और मसूड़ों में संक्रमण बना रहना इत्यादि डायबिटीज के मुख्य लक्षण हैं।
डायबिटीज के लिए जांच:
फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट: यह टेस्ट करवाने से पहले व्यक्ति को कुछ भी खाने से मना कर दिया जाता है अर्थात लगभग 8 घण्टे के उपवास के बाद यह जांच किया जाता है। यह जांच डायबिटीज और प्रीडायबिटीज का पता लगाने के लिए किया जाता है।
ओरल ग्लूकोज टॉलरेन्स टेस्ट
यह टेस्ट भी खाली पेट मे किया जाता है। और यह टेस्ट करने से दो घन्टे पहले मरीज को ग्लूकोज युक्त पेय पिलाया जाता है।
डायबिटीज से बचने के उपाय:
मीठे खाद्य पदार्थ और रिफाइन कॉर्बोहाइड्रेट युकी चीजें खाने से परहेज करना चाहिए। नियमित व्यायाम करना चाहिए, और अधिकाधिक शारीरिक परिश्रम करना चाहिए। अधिकाधिक मात्रा में पानी पानी पीना चाहिए साथ ही सोडा युक्त पेय पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। अगर शरीर का वजन बढ़ गया है तो यथासंभव जल्दी से इसे नियंत्रित करें, अन्यथा सुगर होने की संभावना बढ़ जाती है। धूम्रपान एवं अल्कोहल, फाइबर एवं प्रोटीन युक्त भोजन इत्यादि से परहेज करें। डायबिटीज से बचने के लिए विटामिन डी भरपूर मात्रा में लें
रैंडम ग्लूकोज टॉलरेन्स टेस्ट
इस टेस्ट में डॉक्टर मरीज के रक्त शर्करा की चार बार जांच करते हैं। यदि मरीज का ब्लड शुगर लेवल दो बार सामान्य से अधिक पाया जाता है तो आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है।